यहि चाल तुम चलियो साथजी एही पाउं परवान जी ।।
प्रगट मै तुमको पहिले कहा, भी कहु निरवान जी ।।३।।
हे सुन्दरसाथ जी !सदगुरु द्रारा बताए गए इसी (व्रजसे रासमें जाते समयका )
प्रेम मार्गका अनुसरण करो .यही मार्ग हमारे लिए योग्य है यह बात मैने पहीले
... (रास ग्रन्थमें भी स्पस्ट रुपसे की थी. अब पुन:
नीश्रिय पुर्वक इसी की पूस्र्टी कर रही हुँ
प्रकास् हिन्दी प्रकरण ३ चौपाइ ।।३।
No comments:
Post a Comment