जीवन कलाम से जान लिया एक साहिब सांचा यार है ।
मत पिता सहोदर तिरिया, ये सब पैसे की लार है
इनको चाहिए खूब खजाना तब ये करती प्यार है
ताते दुनिया झूठी लंदी इसका क्या इतवार है
जीवन कलाम से जान लिया एक साहिब सांचा यार है
जिसकी बांह ताहि सतगुरु ने टिस्को लिया उबार है
भब सागर मैं डूब न जबे करता सबको प्यार है
सखी बतायो केतिक तारे जिनका नहीं शुमार है
जीवन कलम से जान लिया एक साहिब सांचा यार है
भजन बंदगई राह हकीकी सछ यही करार है
दम निकसे सो हक़ हुकुम से निशि दिन यही तार है
दाएं बाएं न माने सिद्धक फिरि फिरि यही शुमार है
जीवन कलम से जान लिया एक साहिब सांचा यार है
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